देर रात तक दर्शन-पूजन का दौर चलता रहा। भोर में मंगला आरती के बाद से दर्शन-पूजन शुरू हुआ। जो दिनभर चलता रहा। जिला प्रशासन के अनुसार लगभग ड़ेढ़ लाख देवी भक्तों ने मां विंध्यवासिनी के दर्शन किए।
ज्यादातर भक्त परिवार के साथ धाम में पहुंचे। गंगा घाट पर स्नान किया। इसके बाद माला-फूल, नारियल-चुनरी लेकर श्रद्धा भाव से गर्भगृह की ओर जाने वाले मार्ग पर कतार में खड़े हो गए। किसी ने गर्भगृह तो किसी ने झांकी से ही मां के दरबार में हाजिरी लगाई।
देवी भक्तों ने मां विंध्यवासिनी की एक झलक पाकर समृद्धि कामना की। मां विंध्वासिनी के दर्शन के बाद मंदिर में विराजमान देवी देवताओं के दर्शन-पूजन करने के बाद हवन कुंड में आहुति डाली।
मां विंध्यवासिनी के दर्शन पूजन के बाद भक्त त्रिकोण परिक्रमा करने के लिए रवाना हुए।
भक्तों ने काली खोह व अष्टभुजा देवी दरबार में शीष नवाकर सुख-समृद्धि की कामना की। पूर्णिमा तिथि पर उमड़ी भीड़ को देखते हुए मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही। श्री विंध्य पंडा समाज के अध्यक्ष पं. पंकज द्विवदी ने बताया कि देर शाम तक लगभग डेढ़ लाख से ऊपर श्रद्धालुओं ने मां विंध्यवासिनी का दर्शन किया। मंदिर में बृहस्पतिवार भोर से देर रात श्रद्धालुओं की भीड़ रही।
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