यज्ञकर्म बंधनों से मुक्त करता है - आचार्य बद्री विशाल ओझा

यज्ञकर्म बंधनों से मुक्त करता है - आचार्य बद्री विशाल ओझा
नसीराबाद, रायबरेली।छतोह ब्लॉक के कुकहा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में परम विद्वान प्रवाचक आचार्य पंडित बद्रीविशाल ओझा जी ने सूर्य वंश और चन्द्र वंश की उत्पत्ति पर विस्तार से चर्चा की।
उन्होंने बताया कि संसार के सारे कर्म बंधन में बांधते हैं, केवल यज्ञ कर्म ही बंधनों से मुक्त करता है।
राम को मानो, राम की न मानो किन्तु कृष्ण को न मानो किन्तु कृष्ण की मानो,क्योंकि एक व्यक्ति का कथन सुनकर अग्नि परीक्षा के बाद भी श्री राम ने सीता जी का त्याग कर दिया था। 
किन्तु श्रीकृष्ण जी दुष्ट के साथ वैसा ही आचरण करने का  मंत्र देते हैं।
विद्वान प्रवाचक ने कहा कि विश्व का पहला मनोरोगी अर्जुन, चिकित्सक योगेश्वर श्री कृष्ण और औषधि श्रीमद्भागवत थी।
उन्होंने भगवान वामन के अवतार के कारण और महत्व, राजा बलि से तीन पग भूमि मांगने के कारण,भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद नंद बाबा के घर मनाए गए उत्सव का वर्णन किया।
 कथावाचक ने जीवन में अच्छे रास्ते पर चलने का संकल्प लेने और माता-पिता व गुरु की बात मानने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि कथा श्रवण से आत्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है और मानसिक शांति मिलती है, जिससे सांसारिक दुखों से निकलने में मदद मिलती है।
मुख्य यजमान हरि बख़्श सिंह भदौरिया ने सपरिवार अजय द्विवेदी,महंत प्रसाद ओझा, लल्ला तिवारी, संजय पांडेय, दीपू सिंह, हरप्रसाद मिश्र आदि सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ संगीतमयी कथा का रसपान किया।

0/Post a Comment/Comments

Stay Conneted

Programs & Facts